अतीसार, जिसे आम भाषा में डायरिया भी कहते हैं, एक ऐसी पेट की बीमारी है जिसमें बार-बार पानी जैसा मल त्याग होता है और पेट में दर्द या बेचैनी महसूस होती है। यह समस्या खराब खान-पान, इंफेक्शन, तनाव, या अन्य कारणों से हो सकती है। आयुर्वेद में अतीसार को विभिन्न प्रकारों में बांटा गया है, जैसे वातज, पित्तज, कफज, सन्निपातज, भयज और शोकज। प्रत्येक प्रकार के लक्षण और इलाज अलग-अलग होते हैं। इस ब्लॉग में हम अतीसार के प्रकार, लक्षण, आयुर्वेदिक इलाज और खान-पान के नियमों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
अतीसार के प्रकार और उनके लक्षण
आयुर्वेद के अनुसार, अतीसार को कई प्रकारों में बांटा गया है। नीचे दी गई तालिका में विभिन्न प्रकारों और उनके लक्षणों का विवरण है:
| प्रकार | लक्षण |
|---|---|
| आमातिसार | बदबूदार, भारी, चिपचिपा मल, भूख न लगना, सुस्ती |
| पक्वातिसार | आमातिसार जैसे लक्षण, लेकिन मल ज्यादा सख्त होता है |
| वातज | थोड़ा-थोड़ा पानी जैसा मल, पेट में दर्द, गुदा में जलन, कमजोरी, सूखापन |
| पित्तज | पीला, हरा, काला, बदबूदार मल, बहुत प्यास, जलन, पसीना, चक्कर |
| कफज | सफेद, चिपचिपा, बदबूदार मल, भारीपन, पेट और गुदा में दर्द, भूख न लगना |
| सन्निपातज | वातज, पित्तज और कफज के मिले-जुले लक्षण |
| भयज और शोकज | वातज जैसे लक्षण, लेकिन डर या तनाव की वजह से होता है |
अतीसार का आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेद में अतीसार का इलाज तीन स्तरों पर किया जाता है – साधारण क्लिनिक, छोटे अस्पताल, और बड़े आयुर्वेदिक अस्पताल। प्रत्येक स्तर पर दवाइयों और इलाज का तरीका अलग होता है। नीचे हर स्तर की दवाइयों का विवरण तालिका में दिया गया है:
स्तर 1: साधारण आयुर्वेदिक क्लिनिक
इस स्तर पर शुरुआती इलाज किया जाता है, जिसमें स्टंभन (मल त्याग को रोकने वाली) और दीपन (पाचन को ठीक करने वाली) दवाइयां दी जाती हैं।
| दवा | रूप | खुराक | देने का समय | अवधि | अनुपान (साथ में लेने की चीज) |
|---|---|---|---|---|---|
| शूंठी चूर्ण | चूर्ण | 2-3 ग्राम | दिन में 3-4 बार | 1-2 दिन | तक्र (छाछ) |
| संजीवनी वटी | वटी | 1-2 वटी | खाने से पहले, 2-3 बार | लक्षण खत्म होने तक | सादा पानी |
| बिल्वादि गुटिका | वटी | 1-2 वटी | खाने से पहले, 2-3 बार | लक्षण खत्म होने तक | सादा पानी |
| अतीविषा चूर्ण | चूर्ण | 125-250 मिलीग्राम | खाने से पहले, 2-3 बार | लक्षण खत्म होने तक | सादा पानी |
| बिल्वमूल चूर्ण | चूर्ण | 1-2 ग्राम | खाने से पहले, 2-3 बार | लक्षण खत्म होने तक | सादा पानी |
| मुस्ता चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | सादा पानी |
| दाडिम फल त्वक चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | सादा पानी |
| दाडिमाष्टक चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | पानी/ताजा छाछ |
| कुतज चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | पानी/ताजा छाछ |
| बलाचतुर्भद्रा चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | शहद/पानी |
| कुतजघन वटी | वटी | 1-2 वटी | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | सादा पानी |
| कुतजारिष्ट | अरिष्ट | 10-20 मिली | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | बराबर मात्रा में पानी |
स्तर 2: छोटे अस्पताल
इस स्तर पर अतिरिक्त टेस्ट जैसे सीरम इलेक्ट्रोलाइट्स और रीनल फंक्शन टेस्ट (आरएफटी) किए जाते हैं। दवाइयां भी कुछ बदलती हैं।
| दवा | रूप | खुराक | देने का समय | अवधि | अनुपान (साथ में लेने की चीज) |
|---|---|---|---|---|---|
| ब्रुहत गंगाधर चूर्ण | चूर्ण | 500 मिलीग्राम-2 ग्राम | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | पानी/ताजा छाछ |
| हिंग्वष्टक चूर्ण | चूर्ण | 2-3 ग्राम | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | पानी |
| मुस्ताकरंजादि कषाय | क्वाथ | 12-24 मिली | सुबह 6 बजे और शाम 6 बजे खाली पेट | लक्षण खत्म होने तक | – |
| आनंदभैरव रस | चूर्ण | 250-500 मिलीग्राम | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | पानी |
| शंख वटी | वटी | 1-2 वटी | खाने के बाद, दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | पानी |
| कुतज अवलेह | ग्रान्यूल्स | 5-10 ग्राम | खाने से पहले, दिन में 2 बार | लक्षण खत्म होने तक | – |
| कर्पूरासव | आसव | 5-10 बूंद | खाने से पहले, दिन में 2 बार | लक्षण खत्म होने तक | – |
स्तर 3: बड़े आयुर्वेदिक अस्पताल
यहां गंभीर मामलों में स्टूल कल्चर, अल्ट्रासाउंड, और कोलोनोस्कोपी जैसे टेस्ट किए जाते हैं। दवाइयां और उपचार भी उन्नत होते हैं।
| दवा | रूप | खुराक | देने का समय | अवधि | अनुपान (साथ में लेने की चीज) |
|---|---|---|---|---|---|
| पंचामृत पर्पटी कल्प | चूर्ण | 125-250 मिलीग्राम (धीरे-धीरे 750 मिलीग्राम तक बढ़ाएं) | खाने से पहले, दिन में 1 बार | 10 दिन | मधु, घी, ब्रुहता जीरक चूर्ण |
| कर्पूर रस | वटी | 1-2 वटी | दिन में 3 बार | लक्षण खत्म होने तक | पानी |
| पिप्पली बस्ती: शालमली, लोध्रा, वटान्कुर और यष्टिमधु कल्क (घी, दूध, शहद के साथ) | इमल्शन | 400 मिली | दिन में 1 बार | लक्षण खत्म होने तक | – |
अतीसार में खान-पान और जीवनशैली
क्या खाएं (Do’s):
- हल्का खाना: लाजा मांड, पेया, विलेपी, खिचड़ी, श्रीतशीत जल (ठंडा उबला पानी), तक्र (छाछ)।
- पर्याप्त आराम करें और तनाव से बचें।
क्या न खाएं (Don’ts):
- भारी खाना, मिठाइयां, ठंडी चीजें, दूध और दूध से बनी चीजें (छाछ को छोड़कर)।
- ज्यादा खाना, दिन में सोना, रात में जागना, शारीरिक और मानसिक तनाव।
निष्कर्ष
अतीसार एक आम लेकिन गंभीर समस्या हो सकती है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद में इसके लिए प्रभावी और प्राकृतिक उपचार उपलब्ध हैं। अगर आपको बार-बार पतला मल त्याग, पेट दर्द, या बेचैनी जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत अपने नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें। ऊपर दी गई दवाइयों और खान-पान के नियमों का पालन करें ताकि आप जल्दी स्वस्थ हो सकें। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!

