अतिसार रोग कैसे फैलता ? अतिसार के रोगी को क्या खाना चाहिए?

Indian man suffering from diarrhea and stomach pain holding herbal remedy with Ayurvedic ingredients on table

अतीसार, जिसे आम भाषा में डायरिया भी कहते हैं, एक ऐसी पेट की बीमारी है जिसमें बार-बार पानी जैसा मल त्याग होता है और पेट में दर्द या बेचैनी महसूस होती है। यह समस्या खराब खान-पान, इंफेक्शन, तनाव, या अन्य कारणों से हो सकती है। आयुर्वेद में अतीसार को विभिन्न प्रकारों में बांटा गया है, जैसे वातज, पित्तज, कफज, सन्निपातज, भयज और शोकज। प्रत्येक प्रकार के लक्षण और इलाज अलग-अलग होते हैं। इस ब्लॉग में हम अतीसार के प्रकार, लक्षण, आयुर्वेदिक इलाज और खान-पान के नियमों के बारे में विस्तार से जानेंगे।


अतीसार के प्रकार और उनके लक्षण

आयुर्वेद के अनुसार, अतीसार को कई प्रकारों में बांटा गया है। नीचे दी गई तालिका में विभिन्न प्रकारों और उनके लक्षणों का विवरण है:

प्रकारलक्षण
आमातिसारबदबूदार, भारी, चिपचिपा मल, भूख न लगना, सुस्ती
पक्वातिसारआमातिसार जैसे लक्षण, लेकिन मल ज्यादा सख्त होता है
वातजथोड़ा-थोड़ा पानी जैसा मल, पेट में दर्द, गुदा में जलन, कमजोरी, सूखापन
पित्तजपीला, हरा, काला, बदबूदार मल, बहुत प्यास, जलन, पसीना, चक्कर
कफजसफेद, चिपचिपा, बदबूदार मल, भारीपन, पेट और गुदा में दर्द, भूख न लगना
सन्निपातजवातज, पित्तज और कफज के मिले-जुले लक्षण
भयज और शोकजवातज जैसे लक्षण, लेकिन डर या तनाव की वजह से होता है

अतीसार का आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेद में अतीसार का इलाज तीन स्तरों पर किया जाता है – साधारण क्लिनिक, छोटे अस्पताल, और बड़े आयुर्वेदिक अस्पताल। प्रत्येक स्तर पर दवाइयों और इलाज का तरीका अलग होता है। नीचे हर स्तर की दवाइयों का विवरण तालिका में दिया गया है:

स्तर 1: साधारण आयुर्वेदिक क्लिनिक

इस स्तर पर शुरुआती इलाज किया जाता है, जिसमें स्टंभन (मल त्याग को रोकने वाली) और दीपन (पाचन को ठीक करने वाली) दवाइयां दी जाती हैं।

दवारूपखुराकदेने का समयअवधिअनुपान (साथ में लेने की चीज)
शूंठी चूर्णचूर्ण2-3 ग्रामदिन में 3-4 बार1-2 दिनतक्र (छाछ)
संजीवनी वटीवटी1-2 वटीखाने से पहले, 2-3 बारलक्षण खत्म होने तकसादा पानी
बिल्वादि गुटिकावटी1-2 वटीखाने से पहले, 2-3 बारलक्षण खत्म होने तकसादा पानी
अतीविषा चूर्णचूर्ण125-250 मिलीग्रामखाने से पहले, 2-3 बारलक्षण खत्म होने तकसादा पानी
बिल्वमूल चूर्णचूर्ण1-2 ग्रामखाने से पहले, 2-3 बारलक्षण खत्म होने तकसादा पानी
मुस्ता चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकसादा पानी
दाडिम फल त्वक चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकसादा पानी
दाडिमाष्टक चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकपानी/ताजा छाछ
कुतज चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकपानी/ताजा छाछ
बलाचतुर्भद्रा चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकशहद/पानी
कुतजघन वटीवटी1-2 वटीखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकसादा पानी
कुतजारिष्टअरिष्ट10-20 मिलीखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकबराबर मात्रा में पानी

स्तर 2: छोटे अस्पताल

इस स्तर पर अतिरिक्त टेस्ट जैसे सीरम इलेक्ट्रोलाइट्स और रीनल फंक्शन टेस्ट (आरएफटी) किए जाते हैं। दवाइयां भी कुछ बदलती हैं।

दवारूपखुराकदेने का समयअवधिअनुपान (साथ में लेने की चीज)
ब्रुहत गंगाधर चूर्णचूर्ण500 मिलीग्राम-2 ग्रामखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकपानी/ताजा छाछ
हिंग्वष्टक चूर्णचूर्ण2-3 ग्रामखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकपानी
मुस्ताकरंजादि कषायक्वाथ12-24 मिलीसुबह 6 बजे और शाम 6 बजे खाली पेटलक्षण खत्म होने तक
आनंदभैरव रसचूर्ण250-500 मिलीग्रामखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकपानी
शंख वटीवटी1-2 वटीखाने के बाद, दिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकपानी
कुतज अवलेहग्रान्यूल्स5-10 ग्रामखाने से पहले, दिन में 2 बारलक्षण खत्म होने तक
कर्पूरासवआसव5-10 बूंदखाने से पहले, दिन में 2 बारलक्षण खत्म होने तक

स्तर 3: बड़े आयुर्वेदिक अस्पताल

यहां गंभीर मामलों में स्टूल कल्चर, अल्ट्रासाउंड, और कोलोनोस्कोपी जैसे टेस्ट किए जाते हैं। दवाइयां और उपचार भी उन्नत होते हैं।

दवारूपखुराकदेने का समयअवधिअनुपान (साथ में लेने की चीज)
पंचामृत पर्पटी कल्पचूर्ण125-250 मिलीग्राम (धीरे-धीरे 750 मिलीग्राम तक बढ़ाएं)खाने से पहले, दिन में 1 बार10 दिनमधु, घी, ब्रुहता जीरक चूर्ण
कर्पूर रसवटी1-2 वटीदिन में 3 बारलक्षण खत्म होने तकपानी
पिप्पली बस्ती: शालमली, लोध्रा, वटान्कुर और यष्टिमधु कल्क (घी, दूध, शहद के साथ)इमल्शन400 मिलीदिन में 1 बारलक्षण खत्म होने तक

अतीसार में खान-पान और जीवनशैली

क्या खाएं (Do’s):

  • हल्का खाना: लाजा मांड, पेया, विलेपी, खिचड़ी, श्रीतशीत जल (ठंडा उबला पानी), तक्र (छाछ)।
  • पर्याप्त आराम करें और तनाव से बचें।

क्या न खाएं (Don’ts):

  • भारी खाना, मिठाइयां, ठंडी चीजें, दूध और दूध से बनी चीजें (छाछ को छोड़कर)।
  • ज्यादा खाना, दिन में सोना, रात में जागना, शारीरिक और मानसिक तनाव।

निष्कर्ष

अतीसार एक आम लेकिन गंभीर समस्या हो सकती है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद में इसके लिए प्रभावी और प्राकृतिक उपचार उपलब्ध हैं। अगर आपको बार-बार पतला मल त्याग, पेट दर्द, या बेचैनी जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत अपने नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें। ऊपर दी गई दवाइयों और खान-पान के नियमों का पालन करें ताकि आप जल्दी स्वस्थ हो सकें। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!

About Vivek Kumar

gathering information about ayurveda ,yoga and health

View all posts by Vivek Kumar →