ज्वर (बुखार) का आयुर्वेदिक इलाज: लक्षण, कारण, और सभी स्तरों पर उपचार

Man with a fever sitting on a couch, wrapped in a blanket, holding a thermometer and touching his forehead.

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परिचय: ज्वर (बुखार) क्या है?

ज्वर, जिसे आम बोलचाल में बुखार कहते हैं, एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है। आयुर्वेद में इसे रसायन स्रोतस से शुरू होने वाली बीमारी माना जाता है, जो पाचन की कमजोरी (अग्निमांद्य) और शरीर का तापमान बढ़ने (संताप) की वजह से होती है। इसके मुख्य लक्षणों में पसीना न आना, शरीर में दर्द, भूख न लगना, सिरदर्द, थकान, और सुस्ती शामिल हैं। आधुनिक चिकित्सा में बुखार को वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन का लक्षण माना जाता है, जैसे डेंगू, मलेरिया, या इन्फ्लूएंजा।

आयुर्वेद में ज्वर को कई प्रकार में बांटा गया है, जैसे:

  • साम/निराम अवस्था ज्वर
  • तरुण/जिर्ण ज्वर
  • एक/द्वि/त्रिदोषज ज्वर
  • धातुगत ज्वर
  • शारीर/मानस ज्वर
  • अगंतुज/निज ज्वर
  • पुनरावर्तक ज्वर

इस ब्लॉग में हम ज्वर के लक्षण, कारण, जांच, और आयुर्वेदिक इलाज को तीन स्तरों (लेवल 1, 2, और 3) में विस्तार से समझेंगे। इसमें डेंगू, मलेरिया, और इन्फ्लूएंजा जैसे गंभीर बुखारों का इलाज भी शामिल होगा।


ज्वर के लक्षण: दोष और धातु के आधार पर

ज्वर के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि ये किस दोष (वात, पित्त, कफ) या धातु (रस, रक्त, मांस आदि) से प्रभावित है। आयुर्वेद में इसे इस तरह समझा जाता है:

दोष के आधार पर लक्षण:

  • वातज ज्वर: कंपन (वेपथु), अनियमित तीव्रता (विशम वेग)।
  • पित्तज ज्वर: तेज बुखार (तीक्ष्ण वेग), दस्त (अतिसार)।
  • कफज ज्वर: भारीपन (गौरव), ठंडक (शीत)।
  • वात-पित्तज ज्वर: गले और होंठ का सूखना, नींद की कमी (निद्राल्पता)।
  • पित्त-श्लेष्मज ज्वर: उल्टी (वमि), मुंह में छाले (मुखपाक)।
  • वात-श्लेष्मज ज्वर: सिरदर्द (शिरःशूल), ज्यादा नींद (अतिनिद्रा)।

धातु के आधार पर लक्षण:

  • रस धातु: भारीपन, कमजोरी, बेचैनी, थकान, उल्टी, भूख न लगना, शरीर में दर्द, जम्हाई, गर्मी।
  • रक्त धातु: गर्मी, फुंसी, प्यास, लाल थूक, जलन, लालिमा, चक्कर, नशा, प्रलाप।
  • मांस धातु: अंदर जलन, प्यास, बेहोशी, कमजोरी, ढीला मल, बदबू, शरीर का ढीलापन।
  • मेद धातु: ज्यादा पसीना, तेज प्यास, प्रलाप, बार-बार उल्टी, सांसों की बदबू, कमजोरी, भूख न लगना।
  • अस्थि धातु: दस्त, उल्टी, हड्डियों में दर्द, अकड़न, शरीर का ढीलापन, सांस की तकलीफ।
  • मज्जा धातु: हिचकी, मधुर सांस, खांसी, अतीत देखना, गहरे घाव, कमजोरी, अंदर जलन।
  • शुक्र धातु: शुक्र का निकलना और मृत्यु।

विशिष्ट प्रकार के ज्वर और उनके लक्षण:

  • डेंगू (संनिपातज ज्वर): अचानक तेज बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, चकत्ते।
  • मलेरिया (विषम ज्वर): तेज बुखार, उल्टी, सिरदर्द, पसीना, ठंड लगना।
  • इन्फ्लूएंजा (वात-श्लैष्मिक ज्वर): तेज बुखार, ठंड लगना, रनिंग नोज, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, खांसी, थकान।

ज्वर की जांच (Diagnosis): आयुर्वेदिक और आधुनिक तरीके

ज्वर की सही पहचान के लिए आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों के तरीके अपनाए जाते हैं।

आयुर्वेदिक डायग्नोसिस:

  • मरीज के लक्षणों और इतिहास के आधार पर दोष (वात, पित्त, कफ), धातु (रस, रक्त आदि), और ज्वर की अवस्था (साम/निराम, नव/जिर्ण) का आकलन।
  • शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा होना चाहिए:
    • रेक्टम में: 36.5-37.5°C (97.7-99.5°F) से ज्यादा।
    • मुंह में: 37°C (98.6°F) से ज्यादा।
    • बगल में: 37.2°C (99°F) से ज्यादा।

आधुनिक जांच:

  • लेवल 1:
    • CBC (कम्पलीट ब्लड काउंट)
    • पेरिफेरल ब्लड स्मीयर
  • लेवल 2:
    • मूत्र परीक्षण (Widale test)
    • यूरीन कल्चर और सेंसिटिविटी
    • स्पूतम टेस्ट
    • मैनटॉक्स टेस्ट
    • चेस्ट एक्स-रे PA व्यू
  • लेवल 3:
    • वायरस आइसोलेशन इन कल्चर बाय PCR (पहले दिन से 5वें दिन तक)
    • वायरल एंटीजन डिटेक्शन (जैसे NS1) (पहले दिन से 7वें दिन तक)
    • सेरोलॉजिकल टेस्ट: IgM और IgG (4वें दिन से), IgG (7वें दिन से)
    • पेरिफेरल स्मीयर फॉर मलेरियल पैरासाइट
    • रैपिड स्लाइड मेथड (मलेरिया डायग्नोसिस के लिए)
    • यूरीन रूटीन, माइक्रोस्कोप, बाइल साल्ट, पिगमेंट (जॉन्डिस की जांच के लिए)
    • LFT, RFT, और EEG (अंगों की स्थिति के लिए)
    • फ्लू के लिए PCR, नाक/गले से वायरल कल्चर, सेरोलॉजी

डेंगू, मलेरिया, और इन्फ्लूएंजा की डायग्नोसिस:

  • डेंगू: लक्षणों (तेज बुखार, चकत्ते, मांसपेशियों में दर्द) और टॉर्निकेट टेस्ट (>10 पैच/इंच) के आधार पर।
  • मलेरिया: चक्रीय बुखार, ठंड लगना, पसीना।
  • इन्फ्लूएंजा: बुखार, रनिंग नोज, गले में खराश, खांसी, थकान।

ज्वर का आयुर्वेदिक इलाज: लेवल 1

लेवल 1 में इलाज सोलो आयुर्वेदिक फिजिशियन या प्राइमरी हेल्थ सेंटर (PHC) में किया जाता है। इस चरण में मुख्य फोकस साम अवस्था में उपवास, पाचन, और दीपन दवाओं पर होता है।

इलाज की दिशा:

  • साम या नव अवस्था ज्वर में: मरीज को उपवास या हल्का खाना खाने की सलाह दी जाती है।
  • बाद में: पसीना निकालने के बाद हल्का खाना और तरल पदार्थ जैसे औषधीय पानी (षडंग पानीय) दिया जाता है।
  • निराम या जिर्ण ज्वर में: जरूरत के हिसाब से दवाइयां और खानपान पर ध्यान।

लेवल 1 की दवाइयां:

दवाडोजखाने का समयअवधिअनुपान
नागरादि क्वाथ10-30 मिलीखाने से पहले1 हफ्ता
गुडुच्यादि क्वाथ10-30 मिलीखाने से पहले1 हफ्ता
पर्पटक क्वाथ10-30 मिलीखाने से पहले1 हफ्ता
गोदंती भस्म125-250 मिलीग्रामदिन में 3 बार1 हफ्तागुनगुना पानी
संशमनी वटी2 वटी (500 मिलीग्राम)दिन में 3 बार1 हफ्तागुनगुना पानी
महासुदर्शन चूर्ण50 मिली (फांट)दिन में 3 बार1 हफ्तागुनगुना पानी
ज्वरमुरारी रस125-250 मिलीग्रामदिन में 3 बार1-2 हफ्तेपानी/मधु

दोष के आधार पर दवाइयां:

  • वातज ज्वर: गुडुच्यादि क्वाथ, द्राक्षादि क्वाथ, रस्नादि क्वाथ, विश्लवादी क्वाथ।
  • पित्तज ज्वर: पटोलादि क्वाथ, दुरालभादि क्वाथ, वसादि क्वाथ, पर्पटकादि क्वाथ।
  • कफज ज्वर: चतुर्भद्र अवलेह, निम्बादि क्वाथ, अभयादि क्वाथ, वस कंटकारी क्वाथ।
  • वात-पित्तज ज्वर: चंद्रकला रस, गुडुच्यादि क्वाथ, भरंग्यादि क्वाथ, अश्लीरादि क्वाथ।
  • पित्त-श्लेष्मज ज्वर: कंटकारी क्वाथ, नागरादि क्वाथ, पटोलादि क्वाथ, पंचतिका क्वाथ।
  • वात-श्लेष्मज ज्वर: दशमूल क्वाथ, पिप्पल्यादि क्वाथ, पंचकोल क्वाथ, दरव्योद क्वाथ।
    नोट: वातश्लेष्मज ज्वर में रुक्ष स्वेद करना चाहिए।

पथ्य-अपथ्य (खानपान और जीवनशैली):

  • पथ्य:
    • खानपान: षडंग पानीय, मूस्ता, पर्पटक, उशीर, चंदन, नागर, तर्पण (पके चावल का पानी), मूडगा युष (मूंग दाल का सूप), यवागु (दलिया), ओदन (उबले चावल), लजा (फूले हुए चावल), सब्जियां जैसे पटोल, करवेल्लक, और कर्कोटक।
    • जीवनशैली: बिस्तर पर पूरा आराम, हवादार कमरे में रहना, स्वच्छता का ध्यान।
  • अपथ्य:
    • खानपान: भारी खाना, दही, मटर (हरी, लाल, पीली), काले चने, कच्ची सब्जियां, रिफाइंड आटा (मैदा), दूषित पानी, ठंडा खाना, जंक फूड, तला हुआ खाना, बेकरी आइटम।
    • जीवनशैली: शारीरिक और मानसिक मेहनत, ठंडी हवा में रहना, ठंडे पानी से नहाना, प्राकृतिक उत्तेजनाओं को दबाना (जैसे पेशाब या मल रोकना)।

रेफरल क्राइटेरिया:

अगर मरीज को तेज बुखार, डिलीरियम, उल्टी, डिहाइड्रेशन, या खून बहने जैसी जटिलताएं हों, तो उसे लेवल 2 या लेवल 3 के अस्पताल में रेफर करना चाहिए।


ज्वर का आयुर्वेदिक इलाज: लेवल 2

लेवल 2 में इलाज CHC या छोटे अस्पतालों में होता है। इस चरण में लेवल 1 की दवाइयों के साथ-साथ नई दवाइयां और पंचकर्मा प्रक्रियाएं शामिल की जाती हैं।

लेवल 2 की दवाइयां:

दवाडोजखाने का समयअवधिअनुपान
पाठ्यादि क्वाथ10-30 मिलीखाने से पहले, दिन में 1 बार8 दिन
संजीवनी वटी1-2 टैबदिन में 3 बार1-2 हफ्तेगुनगुना पानी
अमृतोत्तरम क्वाथ20-40 मिलीदिन में 3 बार1-2 हफ्ते
अमृतारिष्ट10-20 मिलीखाने के बाद, दिन में 3 बार1-2 हफ्तेबराबर पानी
त्रिभुवनकीर्ति रस125-250 मिलीग्रामदिन में 3 बार1-2 हफ्तेपानी/मधु
आनंद भैरव रस125-250 मिलीग्रामदिन में 3 बार1-2 हफ्तेपानी/मधु
जयमंगल रस125-250 मिलीग्रामदिन में 3 बार1-2 हफ्तेपानी/मधु

नोट:

  • संजीवनी वटी साम अवस्था ज्वर में, जयमंगल रस संनिपातिक ज्वर में, त्रिभुवनकीर्ति रस श्लैष्मिक ज्वर में, और आनंद भैरव रस दस्त के साथ ज्वर में दिया जाता है।

धातुगत अवस्था के अनुसार इलाज:

धातुकुल्पस (दवाइयां)पंचकर्म
रसरस पाचक (कालिंग, पटोल, पत्र, कुटकी)वमना, उपवास
रक्तरक्त पाचक (पटोल, सारिवा, मूस्ता, पाठा, कुटकी)सेका, प्रदेह, संशमन
मांसनिम्ब, पटोल, त्रिफला, द्राक्षा, मूस्ता, कुटकीवीरेका, उपवास
मेदकिराततिक्त, गुडुची, चंदन, शुन्थी, माहिषादी क्वाथवीरेका, उपवास
अस्थिगुडुची, अमलकी, मूस्ता, पाठा, नागर, वासादि क्वाथ, पाठ्यादि क्वाथनिरुह और अनुवासन बस्ती
मज्जानिरुह और अनुवासन बस्ती
शुक्र

रेफरल क्राइटेरिया:

अगर मरीज लेवल 2 के इलाज से ठीक न हो, तो उसे लेवल 3 के लिए रेफर करना चाहिए।


ज्वर का आयुर्वेदिक इलाज: लेवल 3

लेवल 3 में इलाज आयुर्वेदिक अस्पतालों या डिस्ट्रिक्ट अस्पतालों में होता है। इस चरण में गंभीर बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया, और इन्फ्लूएंजा का इलाज किया जाता है।

डेंगू (संनिपातज ज्वर) के लिए दवाइयां:

दवाडोजखाने का समयअवधिअनुपानरिमार्क्स
कालिंगादि कषाय20-40 मिलीदिन में 2 बार5-7 दिन
पटोलादि क्वाथ10-20 मिलीदिन में 2 बार1 हफ्ताशहद
त्रुणा पंचमूल कषाय40 मिलीदिन में 2-3 बार5-7 दिनएसिडोसिस की स्थिति में
प्रवाल पिष्टि250 मिलीग्रामदिन में 2 बार5 दिनगोकशुर कषायएसिडोसिस की स्थिति में
अकिक पिष्टि250-500 मिलीग्रामदिन में 2 बार5 दिनमधु/गुडुचीरक्तस्राव होने पर
भूनिम्बादि क्वाथ12-24 मिलीदिन में 2 बार5 दिनमधुPT, OT लेवल बढ़ने पर

मलेरिया (विषम ज्वर) के लिए दवाइयां:

दवाडोजखाने का समयअवधिअनुपानरिमार्क्स
विषमज्वरांतक लौह125-250 मिलीग्रामदिन में 2 बार7 दिनमधु
सुदर्शन चूល40-50 मिली (फांट)दिन में 2 बार7 दिन
अमृतारिष्ट10-20 मिलीखाने के बाद, दिन में 2 बार7 दिनबराबर पानी
आयुष-642 टैब (500 मिलीग्राम)दिन में 2 बार7 दिनपानीमलेरिया के लिए विशेष

इन्फ्लूएंजा (वात-श्लैष्मिक ज्वर) के लिए दवाइयां:

दवाडोजखाने का समयअवधिअनुपानरिमार्क्स
लक्ष्मीविलास रस125-250 मिलीग्रामदिन में 2 बार5-7 दिनमधु
तालिसादि चूर्ण2-3 ग्रामदिन में 2 बार5-7 दिनमधु
सितोपलादि चूर्ण2-3 ग्रामदिन में 2 बार5-7 दिनमधु
कण्ठसुधाकर वटी2-3 वटीदिन में 3 बार (चूसें)5-7 दिनगले की खराश के लिए
लवंगादि वटी2-3 वटीदिन में 3 बार (चूसें)5-7 दिनगले की खराश के लिए

पंचकर्मा प्रक्रियाएं:

  • विरेचन: स्नेहन के लिए तिल तैल (1-2 चम्मच) या शतपाला घृता (5-10 ग्राम), फिर त्रिवृत चूर्ण (5-10 ग्राम) या अभयादि मोदक (2-5 टैबलेट)।
  • रक्तमोक्षण: जलौका (जोंक) या सिरावेध से।
  • नस्य: अनु तैल या षडबिंदु तैल (2-5 बूंद)।
  • बस्ती: वैतरण बस्ती, क्षार बस्ती, निरुह बस्ती, अनुवासन बस्ती।

रसायन (Rasayana):

  • च्यवनप्राश
  • पिप्पली रसायन
  • गुडुची रसायन
  • अमलकी रसायन

निष्कर्ष

ज्वर (बुखार) एक आम लेकिन गंभीर स्थिति हो सकती है। आयुर्वेद में इसका इलाज बहुत प्रभावी है, चाहे वो सामान्य बुखार हो, डेंगू, मलेरिया, या इन्फ्लूएंजा। सही खानपान, आयुर्वेदिक दवाइयां, और पंचकर्मा प्रक्रियाओं के साथ आप जल्दी ठीक हो सकते हैं। अगर आपको तेज बुखार, उल्टी, चकत्ते, या सांस की तकलीफ जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।

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