अमावाता का आयुर्वेदिक इलाज: लक्षण और उपचार

Middle-aged man with Amavata gripping his painful hand, showing signs of joint inflammation and arthritis symptoms.

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परिचय: अमावाता (रयूमेटाइड अर्थराइटिस) क्या है?

अमावाता, जिसे आधुनिक चिकित्सा में रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) कहा जाता है, एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों में दर्द, सूजन, और अकड़न होती है। आयुर्वेद में इसे वात-रक्त रोग की श्रेणी में रखा जाता है। ये बीमारी तब होती है जब शरीर में आम (अपचित भोजन से बने विषैले तत्व) और वात दोष असंतुलित हो जाते हैं, जिसके कारण जोड़ों में सूजन और दर्द शुरू हो जाता है। अमावाता के मरीजों को सुबह के समय जोड़ों में अकड़न, दर्द, और सूजन की शिकायत सबसे ज्यादा होती है।

आधुनिक चिकित्सा में इसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर माना जाता है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही ऊतकों पर हमला करती है। आयुर्वेद में इसका इलाज दोषों को संतुलित करके और आम को पचाने पर केंद्रित होता है। इस ब्लॉग में हम अमावाता के लक्षण, कारण, जांच, और आयुर्वेदिक इलाज को तीन स्तरों (लेवल 1, 2, और 3) में विस्तार से समझेंगे।


अमावाता के लक्षण: आयुर्वेदिक और आधुनिक नजरिए से

अमावाता के लक्षण दोषों (वात, पित्त, कफ) और शरीर की स्थिति पर निर्भर करते हैं। आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों के आधार पर इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

आयुर्वेदिक लक्षण:

  • सामान्य लक्षण: जोड़ों में दर्द (संधि शूल), सूजन (संधि शोथ), अकड़न (संधि स्तम्भ), भारीपन (गौरव), भूख न लगना (अग्निमांद्य), थकान (क्लम), और हल्का बुखार (ज्वर)।
  • वातज अमावाता: तेज दर्द, जोड़ों में चुभन, कालेपन या नीलेपन की शिकायत।
  • पित्तज अमावाता: जलन, लालिमा, गर्मी, और पसीना।
  • कफज अमावाता: भारीपन, चिपचिपाहट, ठंडक, और खुजली।
  • सन्निपातज अमावाता (तीनों दोष): सभी लक्षण मिले-जुले, जैसे तेज दर्द, सूजन, जलन, और भारीपन।

आधुनिक लक्षण:

  • जोड़ों में दर्द और सूजन (ज्यादातर छोटे जोड़ों जैसे उंगलियां, कलाई)।
  • सुबह के समय जोड़ों में अकड़न (मॉर्निंग स्टिफनेस) जो 30 मिनट से ज्यादा रहती है।
  • थकान, हल्का बुखार, और वजन घटना।
  • लंबे समय तक इलाज न करने पर जोड़ों में विकृति (Deformity)।

खराब स्थिति के संकेत (Bad Prognosis):

  • तेज बुखार, डिहाइड्रेशन, और खून की कमी।
  • सांस लेने में तकलीफ, पेट में दर्द, और बेहोशी।
  • जोड़ों का पूरी तरह से काम न करना।

अमावाता की जांच (Diagnosis): आयुर्वेदिक और आधुनिक तरीके

अमावाता की सही पहचान के लिए आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों के तरीके अपनाए जाते हैं।

आयुर्वेदिक डायग्नोसिस:

  • मरीज के लक्षणों और इतिहास के आधार पर दोष (वात, पित्त, कफ) और आम की स्थिति का आकलन।
  • जोड़ों में सूजन, दर्द, और अकड़न की जांच।
  • नाड़ी परीक्षण और जीभ की जांच (आम की उपस्थिति के लिए)।

आधुनिक जांच:

  • लेवल 1:
    • CBC (कम्पलीट ब्लड काउंट)
    • ESR (Erythrocyte Sedimentation Rate)
    • CRP (C-Reactive Protein)
    • यूरीन रूटीन टेस्ट
  • लेवल 2:
    • RA Factor (Rheumatoid Factor) टेस्ट
    • Anti-CCP (Anti-Cyclic Citrullinated Peptide) टेस्ट
    • यूरीन कल्चर और सेंसिटिविटी
    • चेस्ट एक्स-रे PA व्यू
  • लेवल 3:
    • ANA (Antinuclear Antibody) टेस्ट
    • HLA-B27 टेस्ट (जेनेटिक मार्कर)
    • जोड़ों का अल्ट्रासाउंड या MRI (सूजन और क्षति की जांच के लिए)
    • LFT (लिवर फंक्शन टेस्ट) और RFT (रिनल फंक्शन टेस्ट)

डिफरेंशियल डायग्नोसिस:

  • गठिया (Vatarakta)
  • संधिवात (Sandhivata – Osteoarthritis)
  • लुपस (SLE – Systemic Lupus Erythematosus)
  • फाइब्रोमायल्जिया

अमावाता का आयुर्वेदिक इलाज: लेवल 1

लेवल 1 में इलाज सोलो आयुर्वेदिक फिजिशियन या प्राइमरी हेल्थ सेंटर (PHC) में किया जाता है। इस चरण में मुख्य फोकस आम को पचाने, दोषों को संतुलित करने, और दर्द-सूजन को कम करने पर होता है।

इलाज की दिशा:

  • साम अवस्था में: उपवास, लंघन (हल्का खाना), और दीपन-पाचन दवाइयां।
  • निराम अवस्था में: स्नेहन (तेल लगाना), स्वेदन (पसीना निकालना), और दोष-शामक दवाइयां।

लेवल 1 की दवाइयां:

दवाडोजखाने का समयअवधिअनुपान
सिम्हानाद गुग्गुल1-2 टैब (250-500 मिलीग्राम)खाने के बाद, दिन में 2 बार1 महीनागुनगुना पानी
पुनर्नवादि क्वाथ20-40 मिलीखाने से पहले, दिन में 2 बार1 महीना
एरंडमूल क्वाथ20-40 मिलीखाने से पहले, दिन में 2 बार1 महीना
रस्नादि क्वाथ20-40 मिलीखाने से पहले, दिन में 2 बार1 महीना
पंचकोल चूर्ण2-3 ग्रामखाने से पहले, दिन में 2 बार15 दिनगुनगुना पानी
पिप्पली चूर्ण1-2 ग्रामखाने से पहले, दिन में 2 बार15 दिनमधु (शहद)

दोष के आधार पर दवाइयां:

  • वातज अमावाता: रस्नादि क्वाथ, दशमूल क्वाथ, गुग्गुलु तिक्तक कषाय।
  • पित्तज अमावाता: पुनर्नवादि क्वाथ, गुडुच्यादि क्वाथ, कोकिलाक्ष कषाय।
  • कफज अमावाता: सिम्हानाद गुग्गुल, त्रिकटु चूर्ण, कण्ठकारी क्वाथ।

पथ्य-अपथ्य (खानपान और जीवनशैली):

  • पथ्य:
    • खानपान: पुराने चावल, मूंग दाल, लहसुन, अदरक, सोंठ, गर्म पानी, हल्का और गर्म खाना, सब्जियां जैसे परवल, लौकी, और करेला।
    • जीवनशैली: गर्म सेक, हल्का व्यायाम, सूखे और गर्म वातावरण में रहना, नियमित दिनचर्या।
  • अपथ्य:
    • खानपान: ठंडा खाना, दही, मछली, भारी और तला हुआ खाना, उड़द दाल, आलू, बैंगन, ठंडा पानी, जंक फूड।
    • जीवनशैली: ठंडी हवा में रहना, ज्यादा देर तक बैठना, दिन में सोना, मानसिक तनाव, और प्राकृतिक उत्तेजनाओं को दबाना (जैसे पेशाब या मल रोकना)।

रेफरल क्राइटेरिया:

  • अगर मरीज को 2 हफ्ते बाद भी राहत न मिले।
  • तेज दर्द, सूजन, बुखार, या जोड़ों में विकृति हो।
  • सांस लेने में तकलीफ, पेट में दर्द, या बेहोशी जैसे लक्षण हों।

अमावाता का आयुर्वेदिक इलाज: लेवल 2

लेवल 2 में इलाज CHC या छोटे अस्पतालों में होता है। इस चरण में लेवल 1 की दवाइयों के साथ-साथ नई दवाइयां और पंचकर्मा प्रक्रियाएं शामिल की जाती हैं।

लेवल 2 की दवाइयां:

दवाडोजखाने का समयअवधिअनुपान
योगराज गुग्गुल1-2 टैब (250-500 मिलीग्राम)खाने के बाद, दिन में 2 बार1 महीनागुनगुना पानी
पुनर्नवासव10-20 मिलीखाने के बाद, दिन में 2 बार1 महीनाबराबर पानी
महारास्नादि क्वाथ20-40 मिलीखाने से पहले, दिन में 2 बार1 महीना
अमृतारिष्ट10-20 मिलीखाने के बाद, दिन में 2 बार1 महीनाबराबर पानी
त्रयोदशांग गुग्गुल1-2 टैब (250-500 मिलीग्राम)खाने के बाद, दिन में 2 बार1 महीनागुनगुना पानी

पंचकर्मा प्रक्रियाएं:

  • लंघन और पाचन: उपवास या हल्का खाना।
  • स्नेहन: तिल तेल या महानारायण तेल से मालिश।
  • स्वेदन: वाष्प स्नान (भाप) या पिंड स्वेद (गर्म पोटली से सेक)।
  • विरेचन: एरंड तेल (2-4 चम्मच) या त्रिवृत चूर्ण (5-10 ग्राम)।

रेफरल क्राइटेरिया:

  • अगर मरीज को 1 महीने बाद भी राहत न मिले।
  • जोड़ों में गंभीर विकृति, तेज बुखार, या अन्य जटिलताएं हों।

अमावाता का आयुर्वेदिक इलाज: लेवल 3

लेवल 3 में इलाज आयुर्वेदिक अस्पतालों या डिस्ट्रिक्ट अस्पतालों में होता है। इस चरण में गंभीर स्थिति का इलाज किया जाता है, जिसमें पंचकर्मा और रसायन का ज्यादा इस्तेमाल होता है।

लेवल 3 की दवाइयां:

दवाडोजखाने का समयअवधिअनुपान
वातारि गुग्गुल1-2 टैब (250-500 मिलीग्राम)खाने के बाद, दिन में 2 बार1-2 महीनेगुनगुना पानी
भल्लातक रसायन1-2 ग्रामखाने से पहले, दिन में 1 बार1 महीनादूध
रस्ना सप्तक क्वाथ20-40 मिलीखाने से पहले, दिन में 2 बार1 महीना
अमावातारि रस125-250 मिलीग्रामखाने के बाद, दिन में 2 बार1 महीनामधु (शहद)

पंचकर्मा प्रक्रियाएं:

  • विरेचन: एरंड तेल (2-4 चम्मच) या त्रिवृत चूर्ण (5-10 ग्राम)।
  • बस्ती:
    • निरुह बस्ती (दशमूल क्वाथ और तिल तेल)
    • अनुवासन बस्ती (महानारायण तेल)
  • रक्तमोक्षण: जलौका (जोंक) से रक्तमोक्षण, खासकर सूजन वाली जगह पर।
  • उपनाह: औषधीय लेप (जैसे निर्गुंडी या दशांग लेप) लगाना।

रसायन (Rasayana):

  • च्यवनप्राश (1 चम्मच, दिन में 2 बार)
  • अश्वगंधा चूर्ण (2-3 ग्राम, दूध के साथ)
  • शतावरी रसायन (2-3 ग्राम, दूध के साथ)

रेफरेंस:

  • चरक संहिता, चिकित्सास्थान, 28/75-80
  • सुश्रुत संहिता, निदान स्थान, 1/39-40
  • अष्टांग हृदय, निदान स्थान, 12/10-12
  • भावप्रकाश, मध्य खंड, 26/15-20

निष्कर्ष

अमावाता (रयूमेटाइड अर्थराइटिस) एक गंभीर बीमारी है, लेकिन आयुर्वेद में इसका प्रभावी इलाज मौजूद है। सही खानपान, आयुर्वेदिक दवाइयां, और पंचकर्मा प्रक्रियाओं के साथ आप जोड़ों के दर्द, सूजन, और अकड़न से राहत पा सकते हैं। अगर आपको सुबह के समय जोड़ों में अकड़न, तेज दर्द, या सूजन की शिकायत हो, तो तुरंत आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।

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