परिचय
आस्रुगदारा (मेनो मेट्रोरेहिया) एक ऐसी बीमारी है जिसमें महिलाओं में अत्यधिक और अनियमित रक्तस्राव होता है। यह मासिक धर्म के दौरान या मासिक धर्म के बीच में कभी भी हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह रक्त पित्तादोषज वृद्धि के कारण होता है, जिससे रक्तस्राव बढ़ जाता है। यह बीमारी हल्की से लेकर गंभीर हो सकती है और बांझपन, anemia जैसी अन्य समस्याओं से जुड़ी हो सकती है। कुछ मामलों में इसे आपातकालीन स्थिति भी माना जाता है, जिसके लिए तुरंत इलाज की जरूरत पड़ सकती है।
केस परिभाषा
- चक्रीय रक्तस्राव: सामान्य अंतराल पर होता है, जिसमें रक्तस्राव की अवधि 5-7 दिन या उससे अधिक हो सकती है। कभी-कभी चक्र छोटा (21 दिन या उससे कम) होता है और भारी रक्तस्राव होता है, जो गर्भाशय से संबंधित होता है। आस्रुगदारा के सभी प्रकार शरीर में दर्द और पीड़ा के साथ जुड़े होते हैं।
प्रकार
आयुर्वेद में आस्रुगदारा को प्रमुख दोषों (वात, पित्त, कफ) के आधार पर वर्गीकृत किया गया है:
- वातज आस्रुगदारा: मासिक धर्म के दौरान fluid, frothy, पतला रक्तस्राव होता है, जिसमें कमर और pelvic क्षेत्र में दर्द होता है।
- पित्तज आस्रुगदारा: पीला, तीखा, बदबूदार रक्तस्राव होता है, जिसमें जलन, प्यास और fever की शिकायत होती है।
- कफज आस्रुगदारा: चिपचिपा, सफेद, गाढ़ा रक्तस्राव होता है, जिसमें शरीर में भारीपन की अनुभूति होती है।
स्तर 1: एकल आयुर्वेदिक चिकित्सक (क्लिनिक/पीएचसी)
जांच
- blood pressure और pulse rate की जांच: रोगी के स्वास्थ्य की प्रारंभिक स्थिति का आकलन करने के लिए।
- pregnancy test: यह सुनिश्चित करने के लिए कि रक्तस्राव pregnancy से संबंधित नहीं है।
- दवाइयां: रोग की प्रारंभिक स्थिति के अनुसार दी जाती हैं।
दवाइयां
दवा | रूप | खुराक | समय | अवधि | अनुपान |
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नागकेसरी, लोहामृत, शुद्धा मोचरास | चूर्ण | 3-6 ग्राम | भोजन के बाद / दिन में दो बार | 2-3 महीने | पानी |
अमलाकी चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | भोजन के बाद / दिन में दो बार | 2-3 महीने | पानी |
लोह त्रुटी | चूर्ण | 3-5 ग्राम | भोजन के बाद / दिन में दो बार | 2-3 महीने | तंदुलोदक |
यष्टिमधु चूर्ण | चूर्ण | 2-4 ग्राम | भोजन के बाद / दिन में दो बार | 2-3 महीने | दूध / पानी |
शुद्धा श्वेतपार्क | चूर्ण | 125-250 मिलीग्राम | भोजन के बाद / दिन में दो बार | 2-3 हफ्ते | पानी |
अशोक क्षीर पका | क्षीर | 20 मिली | सुबह का नाश्ता / शाम का खाना | 2-3 महीने | – |
कामदुधा रस | वटी / चूर्ण | 125-500 मिलीग्राम | सुबह का नाश्ता / दिन में दो बार | 2-3 महीने | – |
अशोकारिष्ट | अरिष्ट | 12-24 मिली | भोजन के बाद / दिन में दो बार | 2-3 महीने | पानी की बराबर मात्रा |
क्या करें और क्या न करें (आहार और जीवन शैली)
- क्या करें: कड़वा, मीठा या कसैला स्वाद वाला भोजन जैसे दूध, छाछ, सौंफ, नींबू, अनार, अंगूर, ककड़ी, लौकी का सेवन करें।
- क्या न करें: लहसुन, लाजामंद, तंदुलोदक, केवल लाजा / लाजामंद के भोजन से परहेज करें।
- विहार: स्थानीय स्वच्छता बनाए रखें और पर्याप्त आराम करें।
- न करें: अधिक परिश्रम, भारी व्यायाम, देर रात तक जागना।
रेफरल मानदंड
- अगर जीवन-रक्षक संकेत (जैसे pulse, respiration) स्थिर नहीं हैं।
- अगर रक्तस्राव बहुत अधिक है और नियंत्रित नहीं हो रहा।
- अगर मरीज स्तर 1 के उपचार का जवाब नहीं दे रहा है।
स्तर 2: सीएचसी या छोटे अस्पतालों के साथ
जांच
- CBC और PBS: पूर्ण रक्त तत्वों की गणना और peripheral blood smear।
- ultrasonography: गर्भाशय और pelvic क्षेत्र की जांच के लिए।
दवाइयां
दवा | रूप | खुराक | समय | अवधि | अनुपान |
---|---|---|---|---|---|
पुष्यनुगा चूर्ण | चूर्ण | 3-5 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 महीने | मधु / तंदुलोदक |
बोला पारपति | वटी | 125-250 मिलीग्राम | सुबह और शाम | 1 महीना | शर्करा, घृत, मधु |
पंचचूर्णकाला क्वाथ | क्वाथ | 60 मिली | सुबह | 1-3 महीने | शर्करा |
शतावरी घृत | घृत | 15 मिली | सुबह | 1 महीना | – |
क्या करें और क्या न करें (आहार और जीवन शैली)
- क्या करें: वही जैसे स्तर 1 में बताया गया।
- क्या न करें: वही जैसे स्तर 1 में बताया गया।
रेफरल मानदंड
- अगर रक्तस्राव के साथ अन्य बीमारियां जैसे diabetes, obesity, high blood pressure, या गंभीर anemia मौजूद हों।
- अगर मरीज दो चक्र के उपचार का जवाब न दे।
- गंभीर anemia की स्थिति।
- किसी pelvic रोग (जैसे tumor) का पता चले।
स्तर 3: आयुर्वेदिक संस्थागत अस्पताल
जांच
- CBC, PBS, T3, T4, TSH: रक्त तत्वों की जांच और thyroid function test।
- fasting और postprandial blood sugar: ब्लड sugar स्तर की जांच।
- saline infusion sonography: endometrial polyp का पता लगाने के लिए।
दवाइयां
दवा | रूप | खुराक | समय | अवधि | अनुपान |
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शोनितहर घृत | घृत | 2 (250-500) मिलीग्राम | भोजन के बाद / दिन में दो बार | 2-3 महीने | – |
त्रिनकांत मणि पिष्टी | पिष्टी | 250 मिलीग्राम | सुबह और शाम | 1-2 महीने | घृत |
धात्री लौह | वटी | 500 मिलीग्राम | सुबह और शाम | 2-3 महीने | गुड़ घृत |
त्रिफला लौह | वटी | 500 मिलीग्राम | सुबह और शाम | 2-3 महीने | गुड़ घृत |
बलुशाली गुड़ | अवलेह | 30 ग्राम | भोजन से पहले | 1-2 महीने | पानी |
क्या करें और क्या न करें (आहार और जीवन शैली)
- क्या करें: वही जैसे स्तर 1 में बताया गया।
- क्या न करें: वही जैसे स्तर 1 में बताया गया।
रेफरल मानदंड
- अन्य व्यवस्थित बीमारियों (जैसे heart disease, diabetes) वाले मरीजों को उनके संबंधित विभागों में भेजा जा सकता है।
निष्कर्ष
आस्रुगदारा (मेनो मेट्रोरेहिया) एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार के साथ इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। सही आहार, जीवन शैली में बदलाव और निर्धारित दवाओं का नियमित पालन करना जरूरी है। अगर लक्षण गंभीर हों या रक्तस्राव नियंत्रित न हो, तो तुरंत किसी योग्य आयुर्वेदिक doctor से सलाह लें।