एकाकुष्ठ (सोरायसिस) की आयुर्वेदिक दवाइयों और खुराक का पूरा विवरण

Middle-aged man with psoriasis showing red, scaly patches on his face, neck, and arms, looking down with a pained expression indoors.

नमस्ते दोस्तों! आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं, जो है एकाकुष्ठ (सोरायसिस) का आयुर्वेदिक इलाज। एकाकुष्ठ एक ऐसी त्वचा की बीमारी है, जिसमें त्वचा पर चांदी जैसे सफेद दाग-धब्बे बन जाते हैं, और कई बार इसमें खुजली भी होती है। आयुर्वेद में इस बीमारी को वात और कफ दोष से जोड़ा जाता है। इसलिए, इसका इलाज अलग-अलग स्तरों पर किया जाता है। इस ब्लॉग में हम उन सभी दवाइयों के नाम, उनकी खुराक, और उनके इस्तेमाल के तरीके के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो आयुर्वेदिक दस्तावेज़ में एकाकुष्ठ के लिए बताए गए हैं। यह जानकारी तीन स्तरों (लेवल 1, लेवल 2, और लेवल 3) पर आधारित है। इसके अलावा, हम हर दवा को अच्छे से समझेंगे ताकि आपको इसका पूरा फायदा मिल सके। चलिए शुरू करते हैं!

Table of Contents

एकाकुष्ठ क्या है?

सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि एकाकुष्ठ क्या है। यह 11 प्रकार के क्षुद्र कुष्ठ में से एक है, जो त्वचा पर चांदी जैसे दाग-धब्बे बनाता है। यह दाग-धब्बे कई बार खुजली के साथ पूरे शरीर में फैल सकते हैं। हालांकि, यह बीमारी सोरायसिस से जुड़ी हुई है, और तनाव या गलत खान-पान की आदतों से बढ़ सकती है। आयुर्वेद में इसका इलाज शोधन चिकित्सा (शरीर को साफ करना), शमन चिकित्सा (दवाइयों से इलाज), और रसायन चिकित्सा (शरीर को ताकत देना) के ज़रिए किया जाता है। अब हम उन सभी दवाइयों के बारे में जानेंगे, जो इस बीमारी के इलाज के लिए दी जाती हैं।

लेवल 1: सोलो आयुर्वेदिक चिकित्सक क्लिनिक/पीएचसी में दवाइयाँ

पहले स्तर पर, जब एकाकुष्ठ के लक्षण हल्के होते हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक कुछ खास दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं। इस स्तर पर कोई विशेष जांच की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए, मरीज़ को 2 या उससे ज़्यादा दवाइयाँ दी जा सकती हैं। यहाँ उन दवाइयों की सूची और उनकी खुराक दी गई है:

1. सरीवा (Sariva)

  • दवा का रूप: चूर्ण (पाउडर)
  • खुराक: 3-6 ग्राम
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: मधु (शहद) या गुनगुने पानी के साथ
  • सरीवा की खासियत: यह एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो रक्त को शुद्ध करने में मदद करती है। यह एकाकुष्ठ में त्वचा के दाग-धब्बों को कम करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होती है। इसके अलावा, इसे गुनगुने पानी या मधु के साथ लेने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है।

2. हरिद्रा (Haridra)

  • दवा का रूप: चूर्ण (पाउडर)
  • खुराक: 3-6 ग्राम
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: मधु (शहद) या गुनगुने पानी के साथ
  • हरिद्रा का फायदा: इसे हल्दी भी कहते हैं, जो एकाकुष्ठ में सूजन को कम करने और त्वचा को स्वस्थ बनाने में मदद करती है। हालांकि, यह सिर्फ सूजन ही नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक रक्त शोधक के रूप में भी काम करती है, जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है।

3. खदिर (Khadir)

  • दवा का रूप: चूर्ण (पाउडर)
  • खुराक: 3-6 ग्राम
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: मधु (शहद) या गुनगुने पानी के साथ
  • खदिर की भूमिका: इसे कत्था के नाम से भी जाना जाता है और यह त्वचा की समस्याओं को ठीक करने में बहुत प्रभावी है। इसलिए, यह रक्त को शुद्ध करने के साथ-साथ एकाकुष्ठ के दाग-धब्बों को कम करने में भी मदद करता है।

4. गुडुची (Guduchi)

  • दवा का रूप: चूर्ण (पाउडर)
  • खुराक: 3-6 ग्राम
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: मधु (शहद) या गुनगुने पानी के साथ
  • गुडुची का महत्व: इसे गिलोय भी कहते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है। फिर भी, यह एकाकुष्ठ के इलाज में रक्त शोधन और सूजन को कम करने में भी सहायक है, जिससे त्वचा स्वस्थ रहती है।

5. मंजिष्ठा (Manjistha)

  • दवा का रूप: चूर्ण (पाउडर)
  • खुराक: 3-6 ग्राम
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: मधु (शहद) या गुनगुने पानी के साथ
  • मंजिष्ठा का असर: यह त्वचा की समस्याओं के लिए एक बहुत अच्छी जड़ी-बूटी है। इसके अलावा, यह रक्त को शुद्ध करती है और एकाकुष्ठ के दाग-धब्बों को हल्का करने में मदद करती है।

6. मंजिष्ठादि क्वाथ (Manjisthadi Kwatha)

  • दवा का रूप: क्वाथ (काढ़ा)
  • खुराक: 20-40 मिलीलीटर
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में दो बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: पानी के साथ (जरूरत के अनुसार)
  • मंजिष्ठादि क्वाथ की उपयोगिता: यह काढ़ा मंजिष्ठा और अन्य जड़ी-बूटियों का मिश्रण है, जो त्वचा को शुद्ध करने में मदद करता है। हालांकि, यह एकाकुष्ठ के लक्षणों को कम करने में भी प्रभावी है।

7. महातिक्तक घृत (Mahatiktaka Ghrita)

  • दवा का रूप: घृत (घी)
  • खुराक: 15 मिलीलीटर
  • प्रशासन का समय: खाने से पहले, दिन में एक बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: गुनगुने पानी के साथ
  • महातिक्तक घृत का लाभ: यह एक आयुर्वेदिक घी है, जिसमें कई जड़ी-बूटियाँ होती हैं। इसलिए, यह एकाकुष्ठ में सूजन को कम करने और त्वचा को नरम बनाने में मदद करता है।

8. कैशोर गुग्गुलु (Kaishora Guggulu)

  • दवा का रूप: वटी (गोली)
  • खुराक: 1-2 वटी
  • प्रशासन का समय: खाने से पहले, दिन में दो बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: गुनगुने पानी के साथ
  • कैशोर गुग्गुलु की खासियत: यह एक आयुर्वेदिक दवा है, जो रक्त को शुद्ध करने में मदद करती है। फिर भी, यह एकाकुष्ठ के इलाज में बहुत प्रभावी है।

लेवल 1 में अन्य सुझाव

लेवल 1 में अगर मरीज़ को कब्ज की शिकायत है, तो उसे अविपत्तिकर चूर्ण या स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण खाली पेट गुनगुने पानी के साथ दिया जा सकता है। इसके अलावा, बाहरी तौर पर कुछ लेप और तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जैसे टंकण जल, त्रिफला क्वाथ, पंचवल्कल क्वाथ, जिवन्त्यादि यमक लेप, वज्रक तैल, महामारीचादि तैल, गंधक मल्हर, करंज तैल, जत्यदि तैल, और आदित्यपाक तैल।

लेवल 2: सीएचसी या छोटे अस्पतालों में दवाइयाँ

लेवल 2 में लेवल 1 की दवाइयों के साथ कुछ और दवाइयाँ दी जा सकती हैं। यह दवाइयाँ मरीज़ के दोष और स्थिति के अनुसार दी जाती हैं। यहाँ लेवल 2 की दवाइयों की सूची दी गई है:

1. सरीवद्यासव (Sarivadyasava)

  • दवा का रूप: आसव (तरल)
  • खुराक: 10-20 मिलीलीटर
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: बराबर मात्रा में पानी के साथ
  • सरीवद्यासव का प्रभाव: यह एक तरल आयुर्वेदिक दवा है, जो रक्त को शुद्ध करने में मदद करती है। इसके अलावा, यह त्वचा को स्वस्थ बनाने में भी सहायक है।

2. महामंजिष्ठादि क्वाथ (Mahamanjisthadi Kwatha)

  • दवा का रूप: क्वाथ (काढ़ा)
  • खुराक: 20-40 मिलीलीटर
  • प्रशासन का समय: खाने से पहले, दिन में दो बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: पानी के साथ (जरूरत के अनुसार)
  • महामंजिष्ठादि क्वाथ की खासियत: यह काढ़ा मंजिष्ठा और अन्य जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। हालांकि, यह त्वचा को शुद्ध करने में बहुत प्रभावी है।

3. गंधक रसायन (Gandhaka Rasayana)

  • दवा का रूप: वटी (गोली)
  • खुराक: 1-2 वटी (125-250 मिलीग्राम)
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: गुनगुने पानी या मधु के साथ
  • गंधक रसायन का लाभ: यह त्वचा की समस्याओं के लिए बहुत अच्छी दवा है। इसलिए, यह एकाकुष्ठ में दाग-धब्बों को कम करने में मदद करती है।

4. खदिरारिष्ट (Khadiarishta)

  • दवा का रूप: अरिष्ट (तरल)
  • खुराक: 10-20 मिलीलीटर
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: बराबर मात्रा में पानी के साथ
  • खदिरारिष्ट की उपयोगिता: यह खदिर और अन्य जड़ी-बूटियों से बना होता है। फिर भी, यह रक्त को शुद्ध करने में बहुत प्रभावी है।

5. अरग्वधारिष्ट (Aragwadharishta)

  • दवा का रूप: अरिष्ट (तरल)
  • खुराक: 10-20 मिलीलीटर
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: बराबर मात्रा में पानी के साथ
  • अरग्वधारिष्ट का महत्व: यह एक आयुर्वेदिक दवा है, जो त्वचा को साफ करने में मदद करती है। इसके अलावा, यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक है।

6. अरोग्यवर्धिनी वटी (Arogyavardhini Vati)

  • दवा का रूप: वटी (गोली)
  • खुराक: 1-2 वटी (500 मिलीग्राम)
  • प्रशासन का समय: खाने के बाद, दिन में तीन बार
  • अवधि: 2-3 हफ्ते
  • अनुपान: मधु या गुनगुने पानी के साथ
  • अरोग्यवर्धिनी वटी का प्रभाव: यह शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। हालांकि, यह रक्त को शुद्ध करने में भी सहायक है।

7. मणिभद्र गुडम (Manibhadra Gudam)

  • दवा का रूप: लेह्य (चटनी जैसा)
  • खुराक: 15-30 ग्राम
  • प्रशासन का समय: हर सुबह
  • अवधि: 1 महीने के लिए
  • अनुपान: गुनगुने पानी के साथ
  • मणिभद्र गुडम की खासियत: यह एक आयुर्वेदिक लेह्य है, जो शरीर को साफ करने में मदद करता है। इसलिए, यह त्वचा को स्वस्थ बनाने में भी सहायक है।

लेवल 3: आयुर्वेदिक अस्पतालों में दवाइयाँ

लेवल 3 में लेवल 1 और लेवल 2 की दवाइयों के साथ-साथ कुछ विशेष इलाज किए जाते हैं। इसके अलावा, इस स्तर पर कुछ रसायन दवाइयाँ भी दी जाती हैं, जो शरीर को ताकत देती हैं। यहाँ उन रसायन दवाइयों की सूची दी गई है:

1. अमलकी (Amalaki)

  • अमलकी का फायदा: इसे आंवला भी कहते हैं। यह शरीर को ताकत देता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। हालांकि, यह एकाकुष्ठ में त्वचा को स्वस्थ बनाने में भी मदद करता है।

2. गुडुची (Guduchi)

  • गुडुची की उपयोगिता: जैसा कि पहले बताया गया, गुडुची रसायन के रूप में भी दी जाती है। यह शरीर को ताकत देती है। फिर भी, यह त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक है।

3. भृंगराज (Bhringaraja)

  • भृंगराज का असर: यह त्वचा और बालों के लिए बहुत अच्छा होता है। इसके अलावा, यह एकाकुष्ठ में त्वचा को शुद्ध करने में मदद करता है।

4. घृत (Ghrita)

  • घृत की खासियत: घृत (घी) का इस्तेमाल रसायन के रूप में किया जाता है। यह शरीर को पोषण देता है। इसलिए, यह त्वचा को नरम बनाता है।

5. भृष्ट हरिद्रा (Bhrishta Haridra)

  • भृष्ट हरिद्रा का लाभ: यह भुनी हुई हल्दी है, जो सूजन को कम करने में मदद करती है। हालांकि, यह त्वचा को स्वस्थ बनाने में भी सहायक है।

6. ब्राह्मी (Brahmi)

  • ब्राह्मी का महत्व: यह तनाव को कम करने में मदद करती है। फिर भी, यह एकाकुष्ठ में मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए दी जाती है।

7. मंडूकपर्णी (Mandukaparni)

  • मंडूकपर्णी का प्रभाव: यह त्वचा को स्वस्थ बनाने में मदद करती है। इसके अलावा, यह रक्त को शुद्ध करने में भी सहायक है।

8. त्रिफला (Triphala)

  • त्रिफला की उपयोगिता: यह शरीर को साफ करने में मदद करता है। इसलिए, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है।

9. खदिर (Khadir)

  • खदिर का असर: खदिर को रसायन के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह त्वचा को शुद्ध करने में मदद करता है। हालांकि, यह दाग-धब्बों को कम करने में भी सहायक है।

10. विदंग (Vidanga)

  • विदंग का लाभ: यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। फिर भी, यह त्वचा को स्वस्थ बनाने में सहायक है।

11. तुवरक (Tuwaraka)

  • तुवरक की खासियत: यह त्वचा की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह एकाकुष्ठ के इलाज में प्रभावी है।

12. भल्लातक (Bhallataka)

  • भल्लातक का प्रभाव: यह एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी है, जो त्वचा को शुद्ध करने में मदद करती है। इसलिए, यह एकाकुष्ठ के लक्षणों को कम करने में सहायक है।

13. बकुची (Bakuchi)

  • बकुची का महत्व: यह त्वचा के दाग-धbबों को हल्का करने में बहुत प्रभावी है। हालांकि, यह एकाकुष्ठ के इलाज में भी सहायक है।

अंतिम विचार

इस ब्लॉग में हमने एकाकुष्ठ (सोरायसिस) के आयुर्वेदिक इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली सभी दवाइयों और उनकी खुराक के बारे में विस्तार से जाना। लेवल 1 में हल्के लक्षणों के लिए दवाइयाँ दी जाती हैं, जैसे सरीवा, हरिद्रा, और खदिर। इसके अलावा, लेवल 2 में कुछ और दवाइयाँ जोड़ी जाती हैं, जैसे सरीवद्यासव और खदिरारिष्ट। लेवल 3 में पंचकर्म और रसायन दवाइयाँ दी जाती हैं, जैसे अमलकी, गुडुची, और बकुची। हालांकि, इन सभी दवाइयों का इस्तेमाल मरीज़ की स्थिति और दोष के अनुसार किया जाता है। फिर भी, आयुर्वेद में दवाइयों के साथ-साथ खान-पान और जीवनशैली पर भी ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।

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