मिर्गी (एपिलेप्सी) का आयुर्वेदिक इलाज: पूरी जानकारी

An Indian man having an epileptic seizure on the floor, showing facial distress and clenched fists

मिर्गी, जिसे हम एपिलेप्सी भी कहते हैं, एक दिमागी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ते हैं। आयुर्वेद में इसका इलाज बहुत अच्छे से किया जा सकता है। इस ब्लॉग में हम आपको आयुर्वेदिक इलाज के तीन स्तरों (लेवल 1, लेवल 2, और लेवल 3) के बारे में पूरी जानकारी देंगे, जो “Ayurvedic Standard Treatment Guidelines” से ली गई है। इसमें दवाइयां, खान-पान, सावधानियां, जांच, और इलाज की प्रक्रियाएं शामिल होंगी। साथ ही, एक Q&A सेक्शन भी होगा ताकि आपके सवालों का जवाब मिल सके।

मिर्गी (एपिलेप्सी) क्या है?

मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग में गड़बड़ी के कारण दौरे पड़ते हैं और कुछ समय के लिए याददाश्त चली जाती है। यह दौरे आमतौर पर “औरा” (एक खास अनुभूति) के साथ शुरू होते हैं। आयुर्वेद में इसे वात, पित्त, और कफ दोषों के असंतुलन से जोड़ा जाता है।

मिर्गी के लक्षण

  • बार-बार दौरे पड़ना
  • याददाश्त का कम होना
  • बेहोशी या शरीर में झटके

लेवल 1: सोलो आयुर्वेदिक फिजिशियन/पीएचसी में इलाज

क्लिनिकल डायग्नोसिस (लक्षणों की जांच)

लेवल 1 में मिर्गी की जांच मरीज के इतिहास और लक्षणों के आधार पर की जाती है। इसमें यह देखा जाता है कि मरीज को दौरे पड़ते हैं और उसकी याददाश्त में कमी आती है या नहीं।

इन्वेस्टिगेशन्स (जांच)

लेवल 1 में कोई खास जांच की जरूरत नहीं होती। सिर्फ लक्षणों के आधार पर इलाज शुरू किया जाता है।

दवाइयां

यहां लेवल 1 में दी जाने वाली दवाइयों की सूची है:

दवाडोज फॉर्मडोजसमयअवधिअनुपान
मानस्यादि क्वाथक्वाथ30-40 मि.ली.खाली पेट, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीना
वाचा चूर्णचूर्ण1-2 ग्रामखाली पेट, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीनाशहद के साथ
ब्राह्मी घृतघृत10-20 ग्रामभोजन से पहले, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीनागुनगुना पानी

डाइट और लाइफस्टाइल एजुकेशन (खान-पान और सावधानियां)

क्या करें:

  • गेहूं, मूंग, चावल, दूध, घी, और मूंग दाल खाएं
  • योग और ध्यान करें
  • अच्छी नींद लें

क्या न करें:

  • आलू, काले चने, और ज्यादा तला हुआ खाना न खाएं
  • शराब न पिएं
  • तनाव और कम नींद से बचें

लेवल 2: सीएचसी या छोटे अस्पतालों में इलाज

क्लिनिकल डायग्नोसिस (लक्षणों की जांच)

लेवल 2 में भी मिर्गी की जांच लेवल 1 की तरह ही की जाती है। मरीज के लक्षणों और इतिहास को देखकर इलाज शुरू किया जाता है।

इन्वेस्टिगेशन्स (जांच)

लेवल 2 में भी कोई खास जांच की जरूरत नहीं होती। लक्षणों के आधार पर ही इलाज चलता है।

दवाइयां

लेवल 2 में दी जाने वाली दवाइयां:

दवाडोज फॉर्मडोजसमयअवधिअनुपान
सरस्वत चूर्णचूर्ण3-5 ग्रामभोजन के बाद, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीनाशहद
स्मृतिसागर रसवटी1-2 वटी (125-250 मि.ग्रा.)खाली पेट, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीनाघृत

इलाज

लेवल 1 में दी गई दवाइयों को जारी रखा जा सकता है। साथ ही, ऊपर दी गई दवाइयां दी जा सकती हैं।

डाइट और लाइफस्टाइल एजुकेशन (खान-पान और सावधानियां)

लेवल 2 में भी लेवल 1 की तरह ही खान-पान और सावधानियां अपनानी हैं:
क्या करें:

  • हल्का और पौष्टिक खाना खाएं
  • योग और ध्यान करें
  • अच्छी नींद लें

क्या न करें:

  • भारी और तला हुआ खाना न खाएं
  • तनाव से बचें
  • शराब न पिएं

लेवल 3: आयुर्वेदिक अस्पतालों में इलाज

क्लिनिकल डायग्नोसिस (लक्षणों की जांच)

लेवल 3 में मिर्गी की जांच नए मरीजों के लिए लेवल 1 की तरह ही लक्षणों और इतिहास के आधार पर की जाती है। लेकिन अगर मरीज पहले से इलाज करा रहा है और लेवल 1-2 में फायदा नहीं हुआ, तो उसे लेवल 3 में रेफर किया जाता है।

इन्वेस्टिगेशन्स (जांच)

लेवल 3 में निम्नलिखित जांच की जा सकती हैं:

  • EEG (इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम)
  • CT/MRI स्कैन

दवाइयां

लेवल 3 में दी जाने वाली दवाइयां:

दवाडोज फॉर्मडोजसमयअवधिअनुपान
जटामांसी अर्कअर्क10 मि.ली.भोजन के बाद, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीनापानी
मानस्मित्र वटीवटी1-2 वटी (500 मि.ग्रा.)खाली पेट, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीनागुनगुना पानी
महाकल्याणक घृतघृत10-20 मि.ली.खाली पेट, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीनागुनगुना पानी
पंचगव्य घृतघृत10-20 मि.ली.खाली पेट, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीनागुनगुना पानी
कूष्मांडस्वरस घृतघृत10-20 मि.ली.खाली पेट, दिन में 2 बार15 दिन से 1 महीनागुनगुना पानी
पंचगंध चूर्णचूर्ण5 ग्रामछाछ/दूध

पंचकर्म

लेवल 3 में पंचकर्म प्रक्रियाएं दी जाती हैं, जो मिर्गी के इलाज में बहुत फायदेमंद हैं। इनमें शामिल हैं:

  • वामन: शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालना
  • विरेचन: पेट साफ करना
  • यापन बस्ति: खास तरह की बस्ति थैरेपी
  • नस्य: नाक के जरिए दवा देना
  • रसायन थैरेपी: शरीर को ताकत देना

डाइट और लाइफस्टाइल एजुकेशन (खान-पान और सावधानियां)

लेवल 3 में भी खान-पान और सावधानियां लेवल 1 और 2 की तरह ही हैं:
क्या करें:

  • हल्का और सुपाच्य खाना खाएं
  • योग, ध्यान, और गहरी सांस लेने की प्रक्रिया करें
  • अच्छी नींद लें

क्या न करें:

  • भारी, तला हुआ, और मसालेदार खाना न खाएं
  • तनाव से बचें
  • शराब और कम नींद से दूर रहें

Q&A सेक्शन

प्रश्न 1: मिर्गी का इलाज कितने समय तक करना चाहिए?
जवाब: आयुर्वेद में इलाज आमतौर पर 15 दिन से 1 महीने तक चलता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसे बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 2: क्या मिर्गी में दूध पीना चाहिए?
जवाब: हां, दूध पीना फायदेमंद है, लेकिन ज्यादा तला हुआ या भारी खाना न खाएं।

प्रश्न 3: क्या योग मिर्गी में मदद करता है?
जवाब: हां, योग और ध्यान से तनाव कम होता है और दौरे नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

प्रश्न 4: पंचकर्म क्या है और यह मिर्गी में कैसे मदद करता है?
जवाब: पंचकर्म आयुर्वेद की एक खास प्रक्रिया है जिसमें शरीर से हानिकारक पदार्थ निकाले जाते हैं। यह मिर्गी में दौरे कम करने और दिमाग को शांत करने में मदद करता है।

निष्कर्ष

मिर्गी (एपिलेप्सी) का आयुर्वेदिक इलाज बहुत प्रभावी है। लेवल 1 से लेवल 3 तक, आयुर्वेद में कई दवाइयां और पंचकर्म प्रक्रियाएं हैं जो इस बीमारी को ठीक करने में मदद करती हैं। सही खान-पान और जीवनशैली अपनाकर आप इस बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं। अगर आपको और जानकारी चाहिए, तो अपने नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।

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