मूत्राघात एक ऐसी बीमारी है जिसमें किडनी सही से काम नहीं करती, इसे क्रोनिक रीनल फेल्योर भी कहते हैं। इसके कारण मूत्र कम बनता है, पैरों और चेहरे में सूजन आती है, और थकान रहती है। आयुर्वेद में इसका प्राकृतिक इलाज है, जो किडनी को मजबूत बनाता है। इस लेख में हम इसके बारे में तीन स्तरों पर जानेंगे।
मूत्राघात क्या है?
मूत्राघात तब होता है जब किडनी कमजोर हो जाती है और मूत्र बनाने में दिक्कत होती है। आयुर्वेद कहता है कि वात, पित्त, और कफ के बिगड़ने से यह हो सकता है। आजकल डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर इसके बड़े कारण हैं। अगर समय पर इलाज न हो, तो डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है।
लक्षण
- चेहरा और पैर सूज जाना
- भूख न लगना और कमजोरी
- मांसपेशियों में दर्द और चक्कर आना
- सांस लेने में तकलीफ
जांच
डॉक्टर इन जांचों से बीमारी पहचानते हैं:
- खून में क्रिएटिनिन और यूरिया का स्तर बढ़ा हुआ
- हिमोग्लोबिन कम होना
- अल्ट्रासाउंड से किडनी देखना
आयुर्वेदिक इलाज: 3 स्तर
आयुर्वेद में मूत्राघात के लिए अलग-अलग स्तरों पर इलाज होता है। आइए जानते हैं:
स्तर 1: प्रारंभिक इलाज
यह शुरुआती दौर के लिए है। निम्नलिखित दवाओं का इस्तेमाल करें (तालिका 22.1):
| दवा | रूप | खुराक | कब लें | कितने दिन | साथ में क्या लें |
|---|---|---|---|---|---|
| गोक्षुर चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | पानी |
| पुनर्नव चूर्ण | चूर्ण | 2-3 ग्राम | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | पानी |
| गुडुची चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | पानी |
| शतावरी चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | पानी |
| रसायन चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | पानी |
| भृंगमालकी चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | पानी |
| गोक्षुरादि गुग्गुलु | वटी | 1-2 वटी | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | पानी |
| पुनर्नवास्तक क्वाथ | क्वाथ | 12-24 मिली | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | – |
| वरुणादी क्वाथ | क्वाथ | 12-24 मिली | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | – |
| शिग्रु क्वाथ | क्वाथ | 12-24 मिली | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | – |
| शिलाजीतादी वटी | वटी | 1-2 वटी | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | पानी |
| त्रिनपंचमूल क्वाथ | क्वाथ | 20-40 मिली | खाना खाने के बाद | 2-3 हफ्ते | – |
- फायदा: यह किडनी को हल्का सपोर्ट देता है।
- ध्यान दें: डॉक्टर से सलाह लें।
स्तर 2: मध्यम इलाज
यह थोड़ा गंभीर मामलों के लिए है:
- शोधना: नाभि के पास तेल लगाएं और निरुहबस्ति करें।
- उत्तमबस्ति: दशमूल तेल और क्वाथ से इलाज।
- रसायन: अमलकी चूर्ण (3 ग्राम) और गुडुची चूर्ण (3 ग्राम) पानी के साथ।
- खास बात: अगर खून में क्रिएटिनिन और यूरिया बढ़ा हुआ हो, तो इनका उपयोग करें।
स्तर 3: उन्नत इलाज
यह गंभीर मामलों के लिए है, जैसे अस्पताल में इलाज:
- क्या होता है: आयुर्वेदिक अस्पताल या डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इलाज।
- जांच: खून के इलेक्ट्रोलाइट्स, कैल्शियम, और यूरिक एसिड की जांच।
- इलाज: डॉक्टर खास दवाएं और डायलिसिस सुझा सकते हैं।
- ध्यान दें: अगर शुगर या ब्लड प्रेशर की समस्या हो, तो डॉक्टर से मिलें।
स्वस्थ जिंदगी के टिप्स
क्या करें
- ताजे फल, सब्जियां, और जौ का सत्तू खाएं।
- दिन में पानी पीएं, लेकिन डॉक्टर से पूछकर।
- हल्की सैर और योग करें।
- अच्छी नींद लें और तनाव से बचें।
क्या न करें
- तले और मसालेदार खाने से बचें।
- ज्यादा मेहनत न करें।
- अनियमित दिनचर्या से दूर रहें।
अंत में
मूत्राघात (किडनी की बीमारी) को आयुर्वेदिक इलाज और अच्छी जिंदगी से कंट्रोल किया जा सकता है। स्तर 1 से शुरू करें और जरूरत पड़ने पर स्तर 2 या 3 पर जाएं। आज ही डॉक्टर से मिलें और किडनी को स्वस्थ रखें!

