मूत्राशयिता (BPH): लक्षण, कारण और प्राकृतिक उपाय 2025

मूत्राशयिता से पीड़ित एक भारतीय व्यक्ति, आयुर्वेदिक वैद्य से सलाह लेते हुए, देसी परिवेश में प्रोस्टेट स्वास्थ्य की समस्या को दर्शाता चित्र

मूत्राशयिता क्या है?

मूत्राशयिता (बेनिग्न प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया) एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है, लेकिन यह कैंसर नहीं होता। यह ग्रंथि मूत्राशय और मूत्रमार्ग के बीच होती है, इसलिए इसका बढ़ना पेशाब करने में दिक्कत पैदा करता है। आयुर्वेद में इसे वात दोष से जोड़ा जाता है, और इसका इलाज प्राकृतिक तरीकों से संभव है।

मूत्राशयिता के लक्षण

  • पेशाब में देरी या रुकावट।
  • पेशाब का धीमा बहाव।
  • पेशाब के बाद बूंद-बूंद टपकना।
  • बार-बार पेशाब जाने की इच्छा।
  • रात में बार-बार नींद खुलना (नोक्टुरिया)।

मूत्राशयिता के कारण

  • उम्र बढ़ना (आमतौर पर 50 साल से ऊपर)।
  • अस्वास्थ्यकर खान-पान।
  • शारीरिक मेहनत की कमी या गलत जीवनशैली।
  • वात दोष का असंतुलन (आयुर्वेद के अनुसार)。

मूत्राशयिता और प्रोस्टेट कैंसर में अंतर

विशेषतामूत्राशयिता (बीपीएच)प्रोस्टेट कैंसर
आकारछोटा से बड़ाआमतौर पर बड़ा नहीं
स्थिरतानरम और लचीलाकठोर
सतहचिकनी, गैप के साथअनियमित, कैंसर की ओर बढ़ता
सुल्कसमध्यमअस्पष्ट
सेमिनल वेसिकलसामान्यकैंसर से प्रभावित हो सकता है
रेक्टल म्यूकोसास्वतंत्र रूप से चलता हैचिपका हुआ या प्रभावित

आयुर्वेदिक इलाज: स्तर 1

दवारूपखुराकसमयअवधिअनुपान
गोक्षुर चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
पुनर्नव चूर्णचूर्ण2-3 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
गुडुची चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
धन्याक हिमठंडा जल10-20 मिलीभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
रास्ना चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
भल्लातकमालक चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
गोक्षुरादि वटीवटी1-2 वटीभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
कांचनार गुग्गुलुवटी1-2 वटीभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
पुनर्नवास्ताका क्वाथकाढ़ा20-40 मिलीभोजन के बाद2-3 सप्ताह
वरुण क्वाथकाढ़ा20-40 मिलीभोजन के बाद2-3 सप्ताह

आयुर्वेदिक इलाज: स्तर 2

दवारूपखुराकसमयअवधिअनुपान
शुद्ध शिलाजीतचूर्ण500 मिलीग्रामभोजन के बाद/दो बार2-3 सप्ताहदूध
गोक्षुरादि घृतघृत5-10 ग्रामभोजन के बाद/दो बार2-3 सप्ताहगुनगुना पानी
काशयमकाढ़ा12-24 मिलीभोजन के बाद2-3 सप्ताह
चंद्रप्रभा वटीवटी1-2 वटीभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
पलाश क्षीरचूर्ण250-500 मिलीग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
वरुणादि घृतघृत5-10 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहगुनगुना पानी
उषिरासवआसव10-20 मिलीभोजन के बाद/दो बार2-3 सप्ताहबराबर पानी के साथ
चंदनासवआसव10-20 मिलीभोजन के बाद/दो बार2-3 सप्ताहबराबर पानी के साथ
सरिवाद्यसवआसव10-20 मिलीभोजन के बाद/दो बार2-3 सप्ताहबराबर पानी के साथ
हिंग्वादि चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
मुस्तक चूर्णचूर्ण3-6 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहपानी
गोक्षुरादि घृतघृत5-10 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहगुनगुना पानी
पुष्पानुग छेदनघृत5-10 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहगुनगुना पानी
शिरिष घृतघृत5-10 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहगुनगुना पानी
चंगरी घृतघृत5-10 ग्रामभोजन के बाद2-3 सप्ताहगुनगुना पानी

स्वस्थ खान-पान और जीवनशैली

  • खाएं
    • हल्का खाना जैसे मूंग दाल, चावल, गेहूं।
    • ताजे फल जैसे सेब, केला, गाजर।
    • मसाले जैसे अदरक।
  • बचें
    • तला हुआ और मसालेदार खाना।
    • शराब और धूम्रपान।
    • ज्यादा शारीरिक मेहनत।

गंभीर लक्षणों के लिए क्या करें?

अगर पेशाब रुक जाए या दर्द बढ़े, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। स्तर 3 पर ये जांच हो सकती हैं:

  • रक्त जांच (सीरम अल्कलाइन फॉस्फेट, टेस्टोस्टेरोन)।
  • ट्रांस रेक्टल अल्ट्रासोनोग्राफी (TRUS)।
  • सिस्टोस्कोपी।

निष्कर्ष

मूत्राशयिता को आयुर्वेदिक दवाओं और सही जीवनशैली से नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आपको इसके लक्षण दिखें, तो देर न करें और डॉक्टर से सलाह लें। स्वस्थ रहने के लिए नियमित जांच और संतुलित आहार जरूरी है।

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