मूत्राशयिता क्या है?
मूत्राशयिता (बेनिग्न प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया) एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है, लेकिन यह कैंसर नहीं होता। यह ग्रंथि मूत्राशय और मूत्रमार्ग के बीच होती है, इसलिए इसका बढ़ना पेशाब करने में दिक्कत पैदा करता है। आयुर्वेद में इसे वात दोष से जोड़ा जाता है, और इसका इलाज प्राकृतिक तरीकों से संभव है।
मूत्राशयिता के लक्षण
- पेशाब में देरी या रुकावट।
- पेशाब का धीमा बहाव।
- पेशाब के बाद बूंद-बूंद टपकना।
- बार-बार पेशाब जाने की इच्छा।
- रात में बार-बार नींद खुलना (नोक्टुरिया)।
मूत्राशयिता के कारण
- उम्र बढ़ना (आमतौर पर 50 साल से ऊपर)।
- अस्वास्थ्यकर खान-पान।
- शारीरिक मेहनत की कमी या गलत जीवनशैली।
- वात दोष का असंतुलन (आयुर्वेद के अनुसार)。
मूत्राशयिता और प्रोस्टेट कैंसर में अंतर
विशेषता | मूत्राशयिता (बीपीएच) | प्रोस्टेट कैंसर |
---|---|---|
आकार | छोटा से बड़ा | आमतौर पर बड़ा नहीं |
स्थिरता | नरम और लचीला | कठोर |
सतह | चिकनी, गैप के साथ | अनियमित, कैंसर की ओर बढ़ता |
सुल्कस | मध्यम | अस्पष्ट |
सेमिनल वेसिकल | सामान्य | कैंसर से प्रभावित हो सकता है |
रेक्टल म्यूकोसा | स्वतंत्र रूप से चलता है | चिपका हुआ या प्रभावित |
आयुर्वेदिक इलाज: स्तर 1
दवा | रूप | खुराक | समय | अवधि | अनुपान |
---|---|---|---|---|---|
गोक्षुर चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
पुनर्नव चूर्ण | चूर्ण | 2-3 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
गुडुची चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
धन्याक हिम | ठंडा जल | 10-20 मिली | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
रास्ना चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
भल्लातकमालक चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
गोक्षुरादि वटी | वटी | 1-2 वटी | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
कांचनार गुग्गुलु | वटी | 1-2 वटी | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
पुनर्नवास्ताका क्वाथ | काढ़ा | 20-40 मिली | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | – |
वरुण क्वाथ | काढ़ा | 20-40 मिली | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | – |
आयुर्वेदिक इलाज: स्तर 2
दवा | रूप | खुराक | समय | अवधि | अनुपान |
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शुद्ध शिलाजीत | चूर्ण | 500 मिलीग्राम | भोजन के बाद/दो बार | 2-3 सप्ताह | दूध |
गोक्षुरादि घृत | घृत | 5-10 ग्राम | भोजन के बाद/दो बार | 2-3 सप्ताह | गुनगुना पानी |
काशयम | काढ़ा | 12-24 मिली | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | – |
चंद्रप्रभा वटी | वटी | 1-2 वटी | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
पलाश क्षीर | चूर्ण | 250-500 मिलीग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
वरुणादि घृत | घृत | 5-10 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | गुनगुना पानी |
उषिरासव | आसव | 10-20 मिली | भोजन के बाद/दो बार | 2-3 सप्ताह | बराबर पानी के साथ |
चंदनासव | आसव | 10-20 मिली | भोजन के बाद/दो बार | 2-3 सप्ताह | बराबर पानी के साथ |
सरिवाद्यसव | आसव | 10-20 मिली | भोजन के बाद/दो बार | 2-3 सप्ताह | बराबर पानी के साथ |
हिंग्वादि चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
मुस्तक चूर्ण | चूर्ण | 3-6 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | पानी |
गोक्षुरादि घृत | घृत | 5-10 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | गुनगुना पानी |
पुष्पानुग छेदन | घृत | 5-10 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | गुनगुना पानी |
शिरिष घृत | घृत | 5-10 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | गुनगुना पानी |
चंगरी घृत | घृत | 5-10 ग्राम | भोजन के बाद | 2-3 सप्ताह | गुनगुना पानी |
स्वस्थ खान-पान और जीवनशैली
- खाएं
- हल्का खाना जैसे मूंग दाल, चावल, गेहूं।
- ताजे फल जैसे सेब, केला, गाजर।
- मसाले जैसे अदरक।
- बचें
- तला हुआ और मसालेदार खाना।
- शराब और धूम्रपान।
- ज्यादा शारीरिक मेहनत।
गंभीर लक्षणों के लिए क्या करें?
अगर पेशाब रुक जाए या दर्द बढ़े, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। स्तर 3 पर ये जांच हो सकती हैं:
- रक्त जांच (सीरम अल्कलाइन फॉस्फेट, टेस्टोस्टेरोन)।
- ट्रांस रेक्टल अल्ट्रासोनोग्राफी (TRUS)।
- सिस्टोस्कोपी।
निष्कर्ष
मूत्राशयिता को आयुर्वेदिक दवाओं और सही जीवनशैली से नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आपको इसके लक्षण दिखें, तो देर न करें और डॉक्टर से सलाह लें। स्वस्थ रहने के लिए नियमित जांच और संतुलित आहार जरूरी है।