परिकर्तिका एक ऐसी समस्या है जो गुदा (एनल) क्षेत्र में होती है। इसमें गुदा में तेज जलन, खुजली और मल त्यागते समय बहुत दर्द होता है। कभी-कभी इसमें खून भी निकलता है। आयुर्वेद में इसे अचर्या चरक और दश विदेचना व्यपति से जोड़ा गया है। यह आमतौर पर कब्ज, पाचन की गड़बड़ी, और गलत खान-पान की वजह से होती है। आधुनिक विज्ञान में इसे फिशर-इन-एनो या दर्दनाक रोग कहते हैं।
परिकर्तिका होने के कारण
- तेज दर्द और जलन गुदा में, खासकर मल त्यागते समय
- मल त्याग के बाद खून निकलना
- गुदा के आसपास खुजली और असहजता
इससे अलग-अलग बीमारियां जो मिलती-जुलती हैं
- आंतों में सूजन (जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस)
- आंतों का टीबी
- बड़ी आंत का कैंसर
- गुदा में खुजली (प्रुराइटिस एनी)
लेवल 1: साधारण आयुर्वेदिक डॉक्टर के पास इलाज
निदान (डायग्नोसिस)
डॉक्टर मरीज की कहानी सुनकर और शारीरिक जांच करके इसे परिकर्तिका के रूप में पहचान सकते हैं।
जांच
इस स्तर पर कोई खास जांच की जरूरत नहीं होती।
इलाज
इसके लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा का लक्ष्य है अनुलोमना, रोपणा और शूलहर करना, यानी पाचन को ठीक करना, घाव भरना और दर्द कम करना। शुरुआती चरण में अगर मरीज को सख्त मल और हल्का दर्द है, तो डाइट और कुछ दवाओं से इलाज किया जा सकता है।
दवाइयां (लेवल 1)
दवा | रूप | मात्रा | समय | अवधि | अनुपान (साथ में लेने की चीज) |
---|---|---|---|---|---|
हरितकी | चूर्ण | 2-4 ग्राम | रात को सोते समय या सुबह खाली पेट | 2-3 हफ्ते | गुनगुना पानी |
त्रिफला | चूर्ण | 2-4 ग्राम | रात को सोते समय या सुबह खाली पेट | 1-2 हफ्ते | गुनगुना पानी |
द्राक्षा | सूखे फल | 10-20 ग्राम | रात को सोते समय या सुबह खाली पेट | 1-2 हफ्ते | गुनगुना पानी |
अरगवध | चूर्ण | 2-4 ग्राम | रात को सोते समय या सुबह खाली पेट | 1-2 हफ्ते | गुनगुना पानी |
कैस्टर ऑयल | तेल | 10-20 मिली | रात को सोते समय या सुबह खाली पेट | 1-2 हफ्ते | गुनगुना पानी |
अभयपट्टिकर | चूर्ण | 5-10 ग्राम | रात को सोते समय या सुबह खाली पेट | 2-5 दिन | पानी |
तक्रारिष्ट | अरिष्ट | 10-20 मिली | खाने के बाद, दिन में दो बार | 1-2 हफ्ते | बराबर मात्रा में पानी |
अभयारिष्ट | अरिष्ट | 10-20 मिली | खाने के बाद, दिन में दो बार | 1-2 हफ्ते | बराबर मात्रा में पानी |
सुरणा | वटी | 500 मिलीग्राम | खाने के बाद, दिन में दो बार | 1-2 हफ्ते | गुनगुना पानी |
बाहरी इलाज
- परिषेक: अरका, एरंडा, बिलोवपत्र क्वाथ से गुदा क्षेत्र को धोना।
- अवगाह: त्रिफला क्वाथ, पंचवल्कल क्वाथ से गुदा को साफ करना।
- धूपन: अरकमूल और शमीपत्र से धूप देना।
- अभ्यंग: जत्यादी तेल, मूत्रीचूर्ण से मालिश करना।
- मात्रा बस्ति: जत्यादी तेल, पिप्पल्यादी तेल से बस्ति देना।
क्या खाएं (आहार)
- आहार: हरी सब्जियां, फल जैसे द्राक्षा, संतरा, नींबू, खरबूजा, सलाद (ककड़ी, गाजर, पत्तागोभी), पालक, मूंग की दाल, और हल्का गुनगुना पानी।
- विहार: रोजाना व्यायाम जैसे टहलना, जॉगिंग करना, और मौसमी खेल खेलना।
क्या न करें
- ज्यादा तीखा, मसालेदार खाना, भारी खाना, और लंबे समय तक बैठना या मल को रोकना।
रेफर करने की जरूरत
- अगर इलाज से फायदा न हो और परेशानी बढ़े।
- अगर मल के साथ ज्यादा खून निकले।
लेवल 2: छोटे अस्पतालों में इलाज
निदान
लेवल 1 की तरह ही, लेकिन ज्यादा गंभीर मामलों में जांच की जरूरत पड़ती है।
जांच
- गुदा की जांच
- प्रोक्टोस्कोपिक जांच
दवाइयां (लेवल 2)
दवा | रूप | मात्रा | समय | अवधि | अनुपान (साथ में लेने की चीज) |
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अरगवधनी वटी | वटी | 1-2 वटी | रात को सोते समय या सुबह खाली पेट | 1-2 हफ्ते | गुनगुना पानी |
कनक्यासव वटी | वटी | 1-2 वटी | रात को सोते समय या सुबह खाली पेट | 1-2 हफ्ते | गुनगुना पानी |
फलत्रिकादी क्वाथ | काढ़ा | 20-40 मिली | खाली पेट/दिन में दो बार | 1-2 हफ्ते | – |
एरंडमूल क्वाथ | काढ़ा | 20-40 मिली | खाली पेट/दिन में दो बार | 1-2 हफ्ते | – |
आहार और जीवनशैली
लेवल 1 जैसा ही।
रेफर करने की जरूरत
- ज्यादा खून बहना
- गंभीर एनीमिया, हृदय रोग, अनियंत्रित बीपी और डायबिटीज, एचआईवी पॉजिटिव, टीबी, या कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां।
लेवल 3: बड़े आयुर्वेदिक अस्पतालों में इलाज
निदान
लेवल 1 और 2 की तरह।
जांच
अगर सुविधाएं हों, तो ये जांच करें:
- रक्त की जांच
- पूरे पेट का अल्ट्रासाउंड
- प्रोक्टोस्कोपी
- कोलोनोस्कोपी
पुरानी परिकर्तिका का इलाज
तरीके
- क्षार सूत्र: फिशर के लिए ट्रांस-फिक्सेशन और लिगेशन करना।
- अग्निकर्म: अनु तेल से गुदा में कैथेटर डालकर इलाज करना।
- सित बस्ति
नोट
भगंदर (फिस्टुला) का इलाज भी परिकर्तिका की तरह ही हो सकता है।
आहार और जीवनशैली
लेवल 1 जैसा ही।
अगर आपको यह समस्या है, तो नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें और सही इलाज लें।
परिकर्तिका से संबंधित आम सवाल-जवाब (Q&A)
सवाल 1: परिकर्तिका होने का मुख्य कारण क्या है?
जवाब: परिकर्तिका आमतौर पर कब्ज, पाचन की गड़बड़ी, और गलत खान-पान की वजह से होती है। ज्यादा मसालेदार खाना, कम पानी पीना, और लंबे समय तक बैठे रहना भी इसका कारण हो सकता है।
सवाल 2: क्या परिकर्तिका का इलाज बिना ऑपरेशन के हो सकता है?
जवाब: हां, शुरुआती चरण में आयुर्वेदिक दवाइयों, सही आहार, और जीवनशैली में बदलाव से परिकर्तिका का इलाज संभव है। लेवल 1 और 2 के इलाज में ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन गंभीर मामलों में लेवल 3 के तहत क्षार सूत्र या अग्निकर्म जैसे तरीके अपनाए जा सकते हैं।
सवाल 3: परिकर्तिका में क्या खाना चाहिए?
जवाब: हरी सब्जियां, फल जैसे संतरा, नींबू, द्राक्षा, खरबूजा, सलाद (ककड़ी, गाजर, पत्तागोभी), पालक, मूंग की दाल, और गुनगुना पानी पीना चाहिए। तीखा और मसालेदार खाना बिल्कुल न खाएं।
सवाल 4: परिकर्तिका को ठीक होने में कितना समय लगता है?
जवाब: यह इस बात पर निर्भर करता है कि समस्या कितनी पुरानी है। लेवल 1 और 2 के इलाज में 1-3 हफ्ते में राहत मिल सकती है। अगर समस्या पुरानी है, तो लेवल 3 के इलाज में 1-2 महीने भी लग सकते हैं।
सवाल 5: क्या परिकर्तिका दोबारा हो सकती है?
जवाब: हां, अगर आप कब्ज को रोकने के लिए सही आहार और व्यायाम नहीं अपनाते, तो यह दोबारा हो सकती है। रोजाना गुनगुना पानी पिएं, हरी सब्जियां खाएं, और लंबे समय तक बैठने से बचें।